Final dalit Aarakshan
डिस्कलेमर:मै राजेश नागवंशी गैर राजनीतिक संस्थाओ और जनता से सविनय निवेदन के साथ हि क्षमा चाहते हुऐ यह स्पष्ट करना चाहता हु कि मै दलगत और जातीगत राजनीति से परे आर्थिक और समाजिक स्तर से पिछड़े हर उस व्यक्ति से प्रेरित हु जो उस सिस्टम मे बदलाव चाहते है जिससे आजादी के बाद भी न केवल इन्शान को ईन्सान ब्लकि संपन्न भी नही बनने दिया।
आरक्षण एक श्राप
आरक्षण के वजह से आरक्षित वर्गों के सरकारी और शिक्षित लोग जो अपनी काबिलियत से पद हासिल करते है उनको भी “अयोग्य” और “भिखारी” जैसे अपमानजनक संबोधनों से अयोग्यो कि तरह अपमानित होना पड़ता है केवल राजनीति के वजह से वर्ना वो भी आरक्षण के पून: विचार के विचारधारा से सहमत है वे सहमत हैं क्योंकि वे विकासवाद के समर्थक है उनको पता है कि आरक्षण कि ओट मे केवल समर्थो का हि चहुमुखी विकास और लाभ होता है कम रैंकिंग के पूंजीपती छात्र पैसा और रसूख के सहारे आरक्षण का लाभ उठाते है जबकि जरूरत मंद और आरक्षित तबके का छात्र अधिक नंबरों वाली मार्कशीट लेकर सिस्टम और भाग्य को कोसने के अलावा केवल राजनैतिक हीत साधनें के लिए बच जाता है
समाजिक महत्व को दरकिनार कर कुछ लोग बाबा साहेब का नाम और मुर्ति का अपने अदांज मे स्वार्थसिद्धि के लिए ईस्तेमाल करते हैं तो कोई आपत्तिजनक शब्दों और लहजों से संबोधित कर देश बांटने का प्रयास करता है तो कोई दुग्ध स्नान और मालार्पण कर खुद के दागदार दामन को बेदाग और प्रतिद्वंदी को नपाक साबित करने के चक्कर मे मानवता को तार तार कर बैठता है यह बात दीगर हैं कि उसके घर का चुल्हा भी ईसी के सहारे जलता है। उनके पिछड़े होने का आगे बढने मे बखूबी योगदान है तभी तो पिछड़े लोग हवाई जहाज देख कर और पिछड़े वर्ग कि राजनीति करनेवाले रसूखदार हवाई जहाज खरीद कर बराबरी महसूस करते हैं।
आजादी के बाद हमारे नेताओं ने मुद्दों का जादूगरी ईस्तेमाल किया। मुद्दों को सुलझाने कि बजाय राजनैतिक ईस्तेमाल कर दौलत और शोहरत खूब बटोरी लेकिन मुद्दा आज भी वही हैं जो 60 सालों पहले था आखिर ऐसा क्यों होता है कि जिन व्यक्तियों ने बेरोजगारी भुखमरी गरीबी आरक्षण और विकास के मुद्दे ऊठाऐ केवल उनका और उनके परिवार का ही विकास हुआ। पेश है कुछ मिशाल।
ऊ. प्रदेश के मुलायम सिंह यादव सत्ता मे आए विकास करने लेकिन सत्ता मे आने के बाद M+ Y समीकरण के सहारे परिवार वाद कि जड़ फैलाते हुऐ न केवल भ्रष्टाचार को बल्कि जाती तुष्टिकरण कि ऐसी मिशाल पेश कि की बसपा प्रमुख मायावती कि न केवल किस्मत चमकी बल्कि पूरा देश आज मायावती कि तर्ज पर खुद को पिछड़ा साबित करने के लिये मरने कटने को अमादा है जबकि अन्य देश चांद पर जमीन बेचने को तैयार है। याद रखे मुद्दा आज भी नही बदला।
बसपा सूप्रिमो मायावती ने भी इन्हीं समिकरण का सहारा लिया। शब्द अलग मगर लक्ष्य एक । अल्पसंख्यक और दलितो को तुष्टिकरण एवं विकास कि सेवईयां खिलाकर सत्ता हासिल कि और फिर काहे का गरीब , काहे का दलित और काहे का विकास। 50रू के दुपट्टे वाली वो कालेज के जमाने की गांव कि वो साधारण सी दिखने वाली लड़की अब महत्वाकांक्षी बहन जी बन चुकी थीं और ईतिहास मे अपनी अमिट छाप छोड़ने के लिये संगमरमरी हाथियों वाली मुर्तिदार अरबों खरबों रू कि पार्क बना अपनी लुटिया डूबोकर विपक्ष मे बैठ गई मानो थक गई हो। सूत्रों के मुताबिक हाल में बसपा के खाते में करीब 105 करोड़ रू और मायावती के भाई आनंद (50 कंपनियों के मालिक) के खाते में 1.43 करोड़ रु जमा होने पर मायावती को स्पष्टीकरण भी देना पड़ा था।
जानकारी के मुताबिक मायावती सौ करोड़ के क्लब में शामिल यूपी के गरीब दलितों की मुखिया मायावती 111 करोड़ की मालिकन हो गईं हैं करीब 111 करोड़ की संपत्ति है। ध्यान रखें स्तीत्व बचाने के समय दलित। दलितों पर अत्याचार जैसे मुद्दे अब भी जवानी पर है।
सम्पत्ति
कांग्रेसी नेता मल्लिकार्जुन खड़गे कि बात करना भी जरूरी है आखिर ईस दिशा मे उन्होंने भी ख्याति हासिल कि चर्चा करते है। पिछ़डो के हक कि लड़ाई करनेवाले नेता जी के क्षेत्र मे पिछ़डो का विकास पर बाद मे चर्चा करेंगे फिलहाल ईनके विकास पर नजर डालते है
50000 करोड़ से अधिक कि सम्पत्ति, 500 करोड़ कि काम्पलेक्स, 300 एकड़ का काफी बगान लगभग 1000 करोड़, 50करोड़ का घर,40 एकड़ का फार्महाउस, 25 एकड़ जमीन , बेल्लारी रोड पर 17एकड़ जमीन , 3 मंजिला
मकान ईन्दिरानगर और दो मकान सदाशिव नगर मे। ईसके अलावा बाल बच्चों के साथ सगे संबंधियों का विकास करवाया सो अलग। फिर भी विपक्षी कहते है विकास नही किया।
रामदास अठावले
अंबेडकर निती के सहारे बनी राजनीतिक पार्टियों में काफी मतभेद हैं कई प्रमुख दलित नेता भारतीय जनता पार्टी, कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और शिवसेना जैसे राजनीतिक दलों से जा मिले जो कि उनकी निजी स्वार्थों कि पूर्ति कर सकते है दलितों के नेता रामदास अठावले की रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया एनडीए सरकार में शामिल है। और सेना और क्रिकेट मे आरक्षण कि मांग कर चुके है।अठालवे के भारतीय फौज को लेकर युवाओं को दी गई सलाह के बाद सोशल मीडिया में उनके बयान की जमकर आलोचना की जा रही है बहरहाल जो भी हो दलितों के नाम पर खुब ख्याति बटोरी । किस्मत चमकाई सो अलग बेचारे दलित आज भी इनसे आश लगाए बैठे हैं। नारा और मुद्दा ईन्होंने नही बदली साथी तो वक्त के साथ बदलते रहते है
रिपब्लिकन पार्टी के दलितों के नेता रामेश्वर सूर्यभानजी गवई ने कांग्रेस की कृपा से दस वर्ष विधान परिषद के उपसभापति, चार वर्ष सभापति और पांच वर्ष राज्यपाल का सुख भोगा ।
1969 से राजनैतिक सफर शुरू करने वाले रामविलास पासवान दलितों के उत्थान के लिये हि सत्ता मे आऐ और 1983में उन्होंने दलितों के उत्थान के लिए दलित सेना का गठन किया और सन् 2000 में पासवान ने जनता दल यूनाइटेड से अलग होकर लोकजन- शक्ति पार्टी का गठन किया।और राजनीति के खास बिसात बनकर मलाई मार रहे है। हालांकि वो दावा करते है खुद पर भ्रष्टाचार के विरोध में हर तरह कि जांच के लिए तैयार है लेकिन इस बात से ईनकार नहीं कर सकते कि मुद्दे आज भी जिन्दा है यानी दलितों का उत्थान,दलितों का शोषण, बेरोजगारी, भुखमरी वगैरह।
वहीं आपसी फूट के बावजूद इस विधानसभा चुनाव में पदोन्नति में आरक्षण जैसे मुद्दे पर सभी दलित पार्टियां एकजुट हो सकती हैं
कुछ नेता राजनीति का मज़ा दलित वोटों के भरोसे लेना चाहते हैं। आरक्षण दलित समुदाय को जोड़ने वाला मुख्य मुद्दा है
खैर सत्ता-नाम और संपत्ति-ख्याति की ख़ातिर पारे की तरह ढुलकते दलित नेताओं से शिक्षित दलित वर्ग अस्तंष्ट हैं।
वक्त आ चुकी है अब रिपिटेड राजनीति से उपर उठकर हर विष्य पर “पॉइंट टू पॉइंट” बात करने कि।
दलितों की नाराजगी देख कांग्रेस ने (दिल्ली) राजघाट पर दलित उत्पीड़न के खिलाफ सामूहिक उपवास का आयोजन किया। इस दौरान कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित, वरिष्ठ कांग्रेसी नेता मल्लिकार्जुन खड़गे, अशोक गहलोत और दिल्ली प्रदेश कांग्रेस समिति के अध्यक्ष अजय माकन समेत कई कांग्रेसी नेता शामिल हुए।
लेकिन सोशल मीडिया पर वायरल हुई एक तस्वीर कांग्रेस को भारी पड़ गई। बीजेपी नेता हरीश खुराना ने एक तस्वीर ट्वीट की, जिसमें अजय माकन और अरविंदर सिंह लवली समेत कुछ नेता रेस्टोरेंट मे खाते हुए दिखे।
पेश है कुछेक ऐसे नाम जिनके पिछे दलित समिकरण नका काफी अहम योगदान रहा है
1)Meira Kumar – Social Justice Minister and Member of Parliament (India) (from bihar, congress party)
2)Gurkamal Singh Kandhola – Fought legal battle against caste discrimination
3)Kumari Selja – Minister of State (Independent Charge) Housing and Urban poverty Alleviation, Govt. of India (from hariyana , congress party)
3)Loknayak Chaudhary Bhala Ram Mathur- Ex M.L.A(HARYANA) &Famous Social Worker,Termed as ,”LOKNAYAK”
4)Kanshi Ram – Founder of the Bahujan Samaj Party (from punjab)
5)Mayawati Kumari – President of Bahujan Samaj Party and Chief Minister UP
6)Phool Chand Mullana – President, Haryana Pradesh Congress Committee. Former Education Minister Haryana, India
7)Sushil Kumar Shinde – (1941- )Indian Minister of power , former Chief Minister of Maharashtra (congress)
8)Samsher Singh Dulon – Ex President of the Punjab Congress &Ex M.P
9)Chaudhary Jagjit Singh – A prominent Politician in the Doaba district of Punjab
10)Lahori Ram Bali – Republican Party Of India, Publisher of B. R. Ambedkar’s Books and Editor In Chief Bheem Patrika, Jalandhar
Lahori Ram – Economic Devolpment Commisioner, California
11)PChoudhari Prem Singh- President Delhi vidhan sabha
12)Laxman singh – Student leader of smazwadi party
13)Harinder Singh Khalsa – Ex Ambessdor Norway, Ex M.P Rajya Sabha, Ex Member of SC/ST commission
14)Surinder Mahey- Ex Mayor of Jallandhar
15) Chaudhary Santok Singh- Ex M.L.A Phillaur, Ex Minister
S.Bikramjeet Singh Khalsa- M.L.A. Khanna
S Isher Singh Meharban -M.L.A. Koom Kalan
S.Darshan Singh Shivalik-M.L.A. Mullanpur Dakha
S.Malkeet Singh Dakha-Ex M.L.A.Mullanpur Dakha, Ex Minister
S.Sarwan Singh- M.L.A. Phillaur
Avinash Chander-M.L.A. Kartarpur
Late S. Basant Singh Khalsa-Ex M.P. Ex Minister
Satnam Singh Kainth-Ex M.P.
Mohinder Singh Kaypee.-Ex M.L.A.,Ex Minister
Ram Lakha- Ex Lord Mayor of Coventry UK
Late Ram Kishan Perdesi -Councillor southall
Tej Ram Bagha- Councillor Southall
Smt. Santosh Chaudhari- M.P in Rajya Sabha
ये कुछ सख्शियत हैं जो दलितो के उत्थान के मुद्दे लेकर आगे बढ़े। लेकिन दलित आज भी वही खंबे ऊखाड़ रहा हैं।
डिस्कलेमर:मै राजेश नागवंशी गैर राजनीतिक संस्थाओ और जनता से सविनय निवेदन के साथ हि क्षमा चाहते हुऐ यह स्पष्ट करना चाहता हु कि मै दलगत और जातीगत राजनीति से परे आर्थिक और समाजिक स्तर से पिछड़े हर उस व्यक्ति से प्रेरित हु जो उस सिस्टम मे बदलाव चाहते है जिससे आजादी के बाद भी न केवल इन्शान को ईन्सान ब्लकि संपन्न भी नही बनने दिया।
आरक्षण एक श्राप
आरक्षण के वजह से आरक्षित वर्गों के सरकारी और शिक्षित लोग जो अपनी काबिलियत से पद हासिल करते है उनको भी “अयोग्य” और “भिखारी” जैसे अपमानजनक संबोधनों से अयोग्यो कि तरह अपमानित होना पड़ता है केवल राजनीति के वजह से वर्ना वो भी आरक्षण के पून: विचार के विचारधारा से सहमत है वे सहमत हैं क्योंकि वे विकासवाद के समर्थक है उनको पता है कि आरक्षण कि ओट मे केवल समर्थो का हि चहुमुखी विकास और लाभ होता है कम रैंकिंग के पूंजीपती छात्र पैसा और रसूख के सहारे आरक्षण का लाभ उठाते है जबकि जरूरत मंद और आरक्षित तबके का छात्र अधिक नंबरों वाली मार्कशीट लेकर सिस्टम और भाग्य को कोसने के अलावा केवल राजनैतिक हीत साधनें के लिए बच जाता है
समाजिक महत्व को दरकिनार कर कुछ लोग बाबा साहेब का नाम और मुर्ति का अपने अदांज मे स्वार्थसिद्धि के लिए ईस्तेमाल करते हैं तो कोई आपत्तिजनक शब्दों और लहजों से संबोधित कर देश बांटने का प्रयास करता है तो कोई दुग्ध स्नान और मालार्पण कर खुद के दागदार दामन को बेदाग और प्रतिद्वंदी को नपाक साबित करने के चक्कर मे मानवता को तार तार कर बैठता है यह बात दीगर हैं कि उसके घर का चुल्हा भी ईसी के सहारे जलता है। उनके पिछड़े होने का आगे बढने मे बखूबी योगदान है तभी तो पिछड़े लोग हवाई जहाज देख कर और पिछड़े वर्ग कि राजनीति करनेवाले रसूखदार हवाई जहाज खरीद कर बराबरी महसूस करते हैं।
आजादी के बाद हमारे नेताओं ने मुद्दों का जादूगरी ईस्तेमाल किया। मुद्दों को सुलझाने कि बजाय राजनैतिक ईस्तेमाल कर दौलत और शोहरत खूब बटोरी लेकिन मुद्दा आज भी वही हैं जो 60 सालों पहले था आखिर ऐसा क्यों होता है कि जिन व्यक्तियों ने बेरोजगारी भुखमरी गरीबी आरक्षण और विकास के मुद्दे ऊठाऐ केवल उनका और उनके परिवार का ही विकास हुआ। पेश है कुछ मिशाल।
ऊ. प्रदेश के मुलायम सिंह यादव सत्ता मे आए विकास करने लेकिन सत्ता मे आने के बाद M+ Y समीकरण के सहारे परिवार वाद कि जड़ फैलाते हुऐ न केवल भ्रष्टाचार को बल्कि जाती तुष्टिकरण कि ऐसी मिशाल पेश कि की बसपा प्रमुख मायावती कि न केवल किस्मत चमकी बल्कि पूरा देश आज मायावती कि तर्ज पर खुद को पिछड़ा साबित करने के लिये मरने कटने को अमादा है जबकि अन्य देश चांद पर जमीन बेचने को तैयार है। याद रखे मुद्दा आज भी नही बदला।
बसपा सूप्रिमो मायावती ने भी इन्हीं समिकरण का सहारा लिया। शब्द अलग मगर लक्ष्य एक । अल्पसंख्यक और दलितो को तुष्टिकरण एवं विकास कि सेवईयां खिलाकर सत्ता हासिल कि और फिर काहे का गरीब , काहे का दलित और काहे का विकास। 50रू के दुपट्टे वाली वो कालेज के जमाने की गांव कि वो साधारण सी दिखने वाली लड़की अब महत्वाकांक्षी बहन जी बन चुकी थीं और ईतिहास मे अपनी अमिट छाप छोड़ने के लिये संगमरमरी हाथियों वाली मुर्तिदार अरबों खरबों रू कि पार्क बना अपनी लुटिया डूबोकर विपक्ष मे बैठ गई मानो थक गई हो। सूत्रों के मुताबिक हाल में बसपा के खाते में करीब 105 करोड़ रू और मायावती के भाई आनंद (50 कंपनियों के मालिक) के खाते में 1.43 करोड़ रु जमा होने पर मायावती को स्पष्टीकरण भी देना पड़ा था।
जानकारी के मुताबिक मायावती सौ करोड़ के क्लब में शामिल यूपी के गरीब दलितों की मुखिया मायावती 111 करोड़ की मालिकन हो गईं हैं करीब 111 करोड़ की संपत्ति है। ध्यान रखें स्तीत्व बचाने के समय दलित। दलितों पर अत्याचार जैसे मुद्दे अब भी जवानी पर है।
सम्पत्ति
कांग्रेसी नेता मल्लिकार्जुन खड़गे कि बात करना भी जरूरी है आखिर ईस दिशा मे उन्होंने भी ख्याति हासिल कि चर्चा करते है। पिछ़डो के हक कि लड़ाई करनेवाले नेता जी के क्षेत्र मे पिछ़डो का विकास पर बाद मे चर्चा करेंगे फिलहाल ईनके विकास पर नजर डालते है
50000 करोड़ से अधिक कि सम्पत्ति, 500 करोड़ कि काम्पलेक्स, 300 एकड़ का काफी बगान लगभग 1000 करोड़, 50करोड़ का घर,40 एकड़ का फार्महाउस, 25 एकड़ जमीन , बेल्लारी रोड पर 17एकड़ जमीन , 3 मंजिला
मकान ईन्दिरानगर और दो मकान सदाशिव नगर मे। ईसके अलावा बाल बच्चों के साथ सगे संबंधियों का विकास करवाया सो अलग। फिर भी विपक्षी कहते है विकास नही किया।
रामदास अठावले
अंबेडकर निती के सहारे बनी राजनीतिक पार्टियों में काफी मतभेद हैं कई प्रमुख दलित नेता भारतीय जनता पार्टी, कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और शिवसेना जैसे राजनीतिक दलों से जा मिले जो कि उनकी निजी स्वार्थों कि पूर्ति कर सकते है दलितों के नेता रामदास अठावले की रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया एनडीए सरकार में शामिल है। और सेना और क्रिकेट मे आरक्षण कि मांग कर चुके है।अठालवे के भारतीय फौज को लेकर युवाओं को दी गई सलाह के बाद सोशल मीडिया में उनके बयान की जमकर आलोचना की जा रही है बहरहाल जो भी हो दलितों के नाम पर खुब ख्याति बटोरी । किस्मत चमकाई सो अलग बेचारे दलित आज भी इनसे आश लगाए बैठे हैं। नारा और मुद्दा ईन्होंने नही बदली साथी तो वक्त के साथ बदलते रहते है
रिपब्लिकन पार्टी के दलितों के नेता रामेश्वर सूर्यभानजी गवई ने कांग्रेस की कृपा से दस वर्ष विधान परिषद के उपसभापति, चार वर्ष सभापति और पांच वर्ष राज्यपाल का सुख भोगा ।
1969 से राजनैतिक सफर शुरू करने वाले रामविलास पासवान दलितों के उत्थान के लिये हि सत्ता मे आऐ और 1983में उन्होंने दलितों के उत्थान के लिए दलित सेना का गठन किया और सन् 2000 में पासवान ने जनता दल यूनाइटेड से अलग होकर लोकजन- शक्ति पार्टी का गठन किया।और राजनीति के खास बिसात बनकर मलाई मार रहे है। हालांकि वो दावा करते है खुद पर भ्रष्टाचार के विरोध में हर तरह कि जांच के लिए तैयार है लेकिन इस बात से ईनकार नहीं कर सकते कि मुद्दे आज भी जिन्दा है यानी दलितों का उत्थान,दलितों का शोषण, बेरोजगारी, भुखमरी वगैरह।
वहीं आपसी फूट के बावजूद इस विधानसभा चुनाव में पदोन्नति में आरक्षण जैसे मुद्दे पर सभी दलित पार्टियां एकजुट हो सकती हैं
कुछ नेता राजनीति का मज़ा दलित वोटों के भरोसे लेना चाहते हैं। आरक्षण दलित समुदाय को जोड़ने वाला मुख्य मुद्दा है
खैर सत्ता-नाम और संपत्ति-ख्याति की ख़ातिर पारे की तरह ढुलकते दलित नेताओं से शिक्षित दलित वर्ग अस्तंष्ट हैं।
वक्त आ चुकी है अब रिपिटेड राजनीति से उपर उठकर हर विष्य पर “पॉइंट टू पॉइंट” बात करने कि।
दलितों की नाराजगी देख कांग्रेस ने (दिल्ली) राजघाट पर दलित उत्पीड़न के खिलाफ सामूहिक उपवास का आयोजन किया। इस दौरान कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित, वरिष्ठ कांग्रेसी नेता मल्लिकार्जुन खड़गे, अशोक गहलोत और दिल्ली प्रदेश कांग्रेस समिति के अध्यक्ष अजय माकन समेत कई कांग्रेसी नेता शामिल हुए।
लेकिन सोशल मीडिया पर वायरल हुई एक तस्वीर कांग्रेस को भारी पड़ गई। बीजेपी नेता हरीश खुराना ने एक तस्वीर ट्वीट की, जिसमें अजय माकन और अरविंदर सिंह लवली समेत कुछ नेता रेस्टोरेंट मे खाते हुए दिखे।
पेश है कुछेक ऐसे नाम जिनके पिछे दलित समिकरण नका काफी अहम योगदान रहा है
1)Meira Kumar – Social Justice Minister and Member of Parliament (India) (from bihar, congress party)
2)Gurkamal Singh Kandhola – Fought legal battle against caste discrimination
3)Kumari Selja – Minister of State (Independent Charge) Housing and Urban poverty Alleviation, Govt. of India (from hariyana , congress party)
3)Loknayak Chaudhary Bhala Ram Mathur- Ex M.L.A(HARYANA) &Famous Social Worker,Termed as ,”LOKNAYAK”
4)Kanshi Ram – Founder of the Bahujan Samaj Party (from punjab)
5)Mayawati Kumari – President of Bahujan Samaj Party and Chief Minister UP
6)Phool Chand Mullana – President, Haryana Pradesh Congress Committee. Former Education Minister Haryana, India
7)Sushil Kumar Shinde – (1941- )Indian Minister of power , former Chief Minister of Maharashtra (congress)
8)Samsher Singh Dulon – Ex President of the Punjab Congress &Ex M.P
9)Chaudhary Jagjit Singh – A prominent Politician in the Doaba district of Punjab
10)Lahori Ram Bali – Republican Party Of India, Publisher of B. R. Ambedkar’s Books and Editor In Chief Bheem Patrika, Jalandhar
Lahori Ram – Economic Devolpment Commisioner, California
11)PChoudhari Prem Singh- President Delhi vidhan sabha
12)Laxman singh – Student leader of smazwadi party
13)Harinder Singh Khalsa – Ex Ambessdor Norway, Ex M.P Rajya Sabha, Ex Member of SC/ST commission
14)Surinder Mahey- Ex Mayor of Jallandhar
15) Chaudhary Santok Singh- Ex M.L.A Phillaur, Ex Minister
S.Bikramjeet Singh Khalsa- M.L.A. Khanna
S Isher Singh Meharban -M.L.A. Koom Kalan
S.Darshan Singh Shivalik-M.L.A. Mullanpur Dakha
S.Malkeet Singh Dakha-Ex M.L.A.Mullanpur Dakha, Ex Minister
S.Sarwan Singh- M.L.A. Phillaur
Avinash Chander-M.L.A. Kartarpur
Late S. Basant Singh Khalsa-Ex M.P. Ex Minister
Satnam Singh Kainth-Ex M.P.
Mohinder Singh Kaypee.-Ex M.L.A.,Ex Minister
Ram Lakha- Ex Lord Mayor of Coventry UK
Late Ram Kishan Perdesi -Councillor southall
Tej Ram Bagha- Councillor Southall
Smt. Santosh Chaudhari- M.P in Rajya Sabha
ये कुछ सख्शियत हैं जो दलितो के उत्थान के मुद्दे लेकर आगे बढ़े। लेकिन दलित आज भी वही खंबे ऊखाड़ रहा हैं।